200 आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को किया जा रहा प्रशिक्षित, 29 मार्च तक चलेगा द्वितीय सत्र

पिपलौदा। भारत सरकार की योजना अनुसार 0 से 3 वर्ष बच्चों में प्रारंभिक बाल्यावस्था उ?द्दीपन एवं 3 से 6 वर्ष के बच्चों के लिये प्रारभिक बाल्यावस्था देखभाल एवं शिक्षा (श्वष्टष्टश्व) के सुदृढ़ीकरण हेतु सक्षम आंगनवाडी एवं पोषण 2.0 अंतर्गत पोषण भी पढाई भी प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत परियोजना स्तरीय उन्मुखीकरण कार्यशाला जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में जिला कार्यक्रम अधिकारी रजनीश सिन्हा के मार्गदर्शन में परियोजना में कुल 200 आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया जा रहा है। सहायक संचालक एवं प्रभारी परियोजना अधिकारी श्रीमती विनिता लोढा ने बताया कि डाईट के प्रथम तल के प्रशिक्षण कक्ष में द्वितीय सत्र का आयोजन दिनांक 27 से 29 मार्च तक होगा। प्रत्येक बेंच में 100 आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओ को प्रशिक्षित किया जा रहा है। प्रशिक्षण के प्रथम दिवस मास्टर ट्रेनर श्रीमती विनिता लोढा एवं भारती सोनी द्वारा प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण में आडियो विडियों एवं ग्रुप्र गतिविधियों भी की गई। पर्यवेक्षक श्रीमती सरोज पुरोहित, कंचन तिवारी, सुनीता नरेश, ब्लॉक कोआर्डिनेटर राहुल बोस एवं आपरेटर प्रहलाद का विशेष सहयोग रहा। कार्यक्रम में व्याख्याता अल्का आचार्य द्वारा गतिविधियों के बारे विस्तार से बताया गया।
शेक्षणिक दृष्टिकोण की बुनियादी समझ को विकसित करना उपदेश्य
श्रीमती लोढा ने बताया कि कार्यक्रम का मुख्य उपदेश्य क्षमता संवर्धन के माध्यम से आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओ में ईसीसीई पाठ्यक्रम और शैक्षणिक दृष्टिकोण को बुनियादी समझ विकसित करने के साथ आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को विकास के आयामों (शारीरिक और मोटर संज्ञानात्मक, सामाजिक, भावनात्मक, नैतिक सांस्कृतिक, कलात्मक और बुनियादी साक्षरता एवं संख्यात्मकता) के मुल्यांकन में क्षमता वृ?द्धि कर सक्षम बनाना है।
बच्चे का मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक विकास होता है तीव्र
श्रीमति अंजुम खान ने कहा कि प्रारंभिक बाल्यावस्था (श्वड्डह्म्द्य4 ष्टद्धद्बद्यस्रद्धशशस्र) वह अवधि होती है जब बच्चे का मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक विकास अत्यधिक तीव्र होता है। यह सामान्यत: जन्म से लेकर 6 वर्ष की आयु तक की अवधि होती है। इस दौरान बच्चे की शारीरिक वृद्धि, मोटर कौशल, भाषा, सामाजिक और संज्ञानात्मक कौशल में महत्वपूर्ण विकास होता है।
समझ और निर्णय लेने की क्षमता होती है विकसित
अविनाश तारे ने मनोवैज्ञानिक और संज्ञानात्मक विकास पर कहा कि इस अवधि में बच्चे की सोचने की क्षमता, समझ और निर्णय लेने की क्षमता विकसित होती है। वे खेल, चित्रकला, और गाने जैसी गतिविधियों के माध्यम से नई चीजें सीखते हैं।
लंबाई, वजन और शारीरिक क्षमता तेजी से बढ़ती है
श्रीमती सुशिला व्यास ने कहा कि शारीरिक विकास बच्चों की लंबाई, वजन और शारीरिक क्षमता तेजी से बढ़ती है। इस दौरान मांसपेशियों और हड्डियों का विकास भी होता है। और सामाजिक और भावनात्मक विकास: बच्चे इस अवस्था में अपने आसपास के लोगों के साथ रिश्ते बनाना सीखते हैं। वे अपनी भावनाओं को व्यक्त करना, साझा करना, और सहानुभूति विकसित करना शुरू करते हैं।
भारत सरकार महिला बाल विकास मंत्रालय द्वारा 3-6 वर्ष के बच्चों के लिए ईसीसीई हेतु नेशनल करीकुलम (आधारशिला) एवं 0 से 3 वर्ष के बच्चों के लिये प्रारभिक बाल्यावस्था उद्दीपन के लिये नेशनल फ्रेमवर्क (नवचेतना) तैयार किये गये हैं। पोषण भी पढ़ाई भी अन्तर्गत नवचेतना एवं आधारशिला को आंगनवाड़ी केन्द्र में क्रियान्वित करने के सम्बन्ध में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओ को प्रशिक्षित किया जा रहा है।
शाला पूर्व शिक्षा व देखभाल का दिया प्रशिक्षण
रतलाम : महिला व बाल विकास विभाग द्वारा परियोजना रतलाम ग्रामीण-दो के अंतर्गत शाला पूर्व शिक्षा व देखभाल (ईसीसीई) का प्रशिक्षण बरबड़ हनुमान मंदिर सभागृह में दिया गया। 100 आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को पीपीटी के माध्यम से कौशल विकास प्रशिक्षण दिया गया।
विभाग की परियोजना पर्यवेक्षक व परियोजना अधिकारी द्वारा आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया गया। पोषण भी-पढ़ाई भी कार्यक्रम में पोषण के हजार सुनहरे दिन, अतिगंभीर कुपोषित, मध्यम गंभीर कुपोषण पर विस्तारपूर्वक पीपीटी के माध्यम से समझाया गया। प्रशिक्षण में स्तनपान व बच्चों के सर्वांगीण विकास के बारे में समझाया गया। शशिकला मंडोरा, रेखा व्यास, गायत्री शर्मा, मंजू वर्मा, विष्णु चौहान, परियोजना अधिकारी प्रेमलता माकल ने प्रशिक्षण दिया। पीपीटी दिखाने व कार्यकर्ताओं के रजिस्ट्रेशन में आशीष सोनी का विशेष योगदान रहा। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता रंभा कटारिया ने बताया कि प्रशिक्षण कार्यक्रम गुणवत्तापूर्ण रहा और यह प्रशिक्षण हमें अपने आंगनबाड़ी संचालन में महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करेगा। स्वाति जोशी ने बताया कि कार्यक्रम बहुत अच्छा रहा और इस प्रशिक्षण से हम अपने आंगनबाड़ी केंद्र के बच्चों को और अधिक सक्षम बनाएंगे। उनमें कौशल क्षमता निर्माण करेंगे। शोभा परमार सहित प्रशिक्षण प्राप्त कर रही आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने भी प्रशिक्षण के संबंध में विचार व्यक्त किए।