गुलाब चक्कर में ताजा हुई रियासतकालीन संगीत की याद, वाद्ययंत्रों की म्यूजिकल प्रस्तुति से सुरमई हुई शाम, दादा अब्दुल शकूर के वंशजों ने मिलाया सुर से ताल, राजा सज्जनसिंह की संगीत सभा में क्लारनेट बजाया करते थे मास्टर अब्दुल शकूर

गुलाब चक्कर में मास्टर शकूर के वंशजों ने एक से बढ़कर एक प्रस्तुति दी। जिसमें इस परिवार में तीसरी पीढ़ी के कलाकार यूनुस जावेदी द्वारा ऑर्गन पर सबसे छोटे साढ़े तीन वर्षीय कलाकार तबला वादक मोहम्मद अली जावेदी के साथ जुगलबंदी कर सभी को चकित कर दिया। इस बीच परिवार के अन्य कलाकार सदस्यों द्वारा अलग-अलग वाद्ययंत्र पर एक से बढ़कर एक प्रस्तुति देकर दर्शकों का खूब मनोरंजन किया।
दो भाइयों की संगीत विरासत को सहेज रखा परिवार ने
जावेदी परिवार के अशफ़ाक़ जावेदी बताते है कि दादा अब्दुल शकूर जावेदी के बेटे मेरे पिता रऊफ जावेदी व इनके छोटे भाई मजहर हुसैन का परिवार वर्तमान में संगीत विरासत को आगे बढ़ा रहा है। पिता अब्दुल रऊफ रियासत के ज़माने में राजा सज्जनसिंह के समक्ष गुलाब चक्कर में ही संगीत सभा के दौरान क्लारनेट बजाया करते थे। राजा सज्जन सिंह संगीत के खासे शौकीन थे। इसलिए गुलाब चक्कर में आए दिन संगीत सभा होती थी। जिला प्रशासन ने शहरवासियों को गुलाब चक्कर को श्रृंगारित कर दोबारा प्रतिभा निखारने की सौगात दी है।
जावेदी परिवार के इन कलाकारों द्वारा प्रस्तुति
तबले पर संगत अय्यूब जावेदी, बासुरी पर आफताब जावेदी, बांसुरी पर समीर जावेदी, ऑक्टोपेड पर शादाब जावेदी, सैक्सोफोन पर मोहम्मद हुसैन जावेदी, वसीम मसूदी, आर्गन पर याकूब व यूनुस जावेदी, बड़े भाई एडवोकेट यूसुफ जावेदी ने कविता पाठ किया। साथ ही परिवार के सबसे छोटे कलाकार मोहम्मद अली जावेदी ने तबला वादन किया।
इस बीच परिवार के प्रमुख कलाकार अशफ़ाक़ जावेदी ने मेंडोलीयन पर छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिए प्रस्तुति देकर समां बांध दिया। इसी तरह इदरीस जावेदी व महताब जावेदी ने सुमधुर गीत प्रस्तुत किया। संचालन अनमोल सुरोलिया ने किया। इस मौके पर बड़ी संख्या में संगीत प्रेमी श्रोता मौजूद रहे।