वक्फ एक्ट में संशोधन की बजाए एक्ट को ही खत्म करे केन्द्र सरकार, माफीदार मंदारूल आलमीन (फुकरान) संस्थान राजस्थान एवं अखिल भारतीय मुजावर सेना मध्यप्रदेश ने प्रेसवार्ता कर लगाए कई आरोप ,

वक्फ एक्ट में संशोधन की बजाए एक्ट को ही खत्म करे केन्द्र सरकार, माफीदार मंदारूल आलमीन (फुकरान) संस्थान राजस्थान एवं अखिल भारतीय मुजावर सेना मध्यप्रदेश ने प्रेसवार्ता कर लगाए कई आरोप ,

रतलाम।(कवर स्टोरी24) वक्फ एक्ट 1995 में संशोधन नहीं होना चाहिए बल्कि वक्फ एक्ट को ही खत्म करना चाहिए । केन्द्र सरकार अखिल भारतीय मुजावर सेना के संस्थापक अध्यक्ष शेर मोहम्मद शाह ने माफीदार मदारूल आलमीन (फुकरान) संस्थान राजस्थान एवं अखिल भारतीय मुजावर सेना मध्यप्रदेश की संयुक्त प्रेस वार्ता में यह बात कही।

शाह ने कहा कि मुल्क की आजादी के पहले संघर्ष में प्रमुख भूमिका निभाने वाले शहीद मजनू शाह मलंग जो कि फकीर समाज के थे, उन्होंने मुल्क की आजादी के लिये सबसे पहले स्वतंत्रता संग्राम सैनानी के रूप में प्राणों की आहूती दी और जिनके नेतृत्व में सन्यासी आन्दोलन चला था, उस समाज के मुजावर जो दरगाह खानखाहा कब्रस्तान आदि पीर स्थानों पर अपनी सेवाएं देते है। उन्हें वक्फ बोर्ड द्वारा प्रताड़ित और परेशान कर उन्हें गुलाम समझा जा रहा है। वक्फ बोर्ड के जुल्मो सितम से आजादी दिलाने के लिये वक्फ एक्ट खत्म होना चाहिए।

प्रेस वार्ता में कहा गया जिन राजा-महाराजा और नवाबों में मंदिर, मठ हेतु जमीने पुजारियों को प्रदान की थी, उन्हीं राजा महाराजा और नवाबों द्वारा दरगाह, तकिया, कब्रस्तान पर सेवाएं देने वाले मुजावरों (पुजारी) को जमीनें, माफी, ईनाम और बक्क्षीश में दी है जो सुविधाएं धार्मिक स्थल, देवस्थान के पुजारी को शासन द्वारा दिये जा रहे है वही सारे लाभ पीर स्थान पर सेवाएं देने वाले फकीर समाज के मुजावर को भी मिलना चाहिए। अन्य ऐसी 17 मांगे है जिस पर समाज काम कर रहा है। जिसमें राजस्थान और मध्यप्रदेश की दोनों संस्थाओं ने वक्फ बोर्ड से आजादी के अभियान का आगाज 15 अगस्त 2024 से किया है।

- वक्फ द्वारा फकीर समाज की संपत्ति हड़पने की भी हो जांच

मुस्लिम कानून 1913 को ध्यान में रखते हुए केन्द्र सरकार द्वारा वक्फ अधिनियम 1954 बनाया गया था उसका मात्र उद्देश्य जो लोग हिन्दुस्तान छोड़कर पाकिस्तान चले गये है ऐसी लावारिस संपत्तियां वक्फ संपत्तियां है लेकिन वक्फ बोर्ड वक्फ संपत्ति के नाम पर फकीर समाज और अन्य समाजों के पास जमीने जो उनके निजी स्वत्व और स्वामित्व की है उन्हें भी वक्फ संपत्ति बताकर परेशान और प्रताड़ित कर रहा है। इसलिये उक्त संपत्ति वक्फ बोर्ड के पास कैसे आयी, उसके स्वत्व के दस्तावेजों की भी जांच होना चाहिए।

देशभर में चलाएंगे हस्ताक्षर अभियान

अन्य ऐसी 17 मांगे है जिस पर समाज काम कर रहा है। जिसमें एक राजस्थान और मध्यप्रदेश की दोनों मि संस्थाओं ने वक्फ बोर्ड से आज़ादी के नेत अभियान का आगाज़ 15 अगस्त 2024 खु से किया है। प्रथम चरण में पूरे भारत में हस्ताक्षर अभियान चलाया जाएगा, उन्न क्योंकि वक्फ अधिनियम में बदलाव पूर वर्ष 1995 और 2013 में भी हुए है। एक्ट में बदलाव लाने से यतीमो, गरीबों और फकीर समाज का अ भो के हालात में बदलाव नहीं आएगा। के पण्डित दीनदयाल उपाध्याय की मंशा की अन्तिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति को उसका लाभ मिलना चाहिए। वास्तव में पण्डितजी की मंशा को केन्द्र सरकार अगर पूरा करना चाहती है तो इस एक्ट को खत्म करना जरूरी है क्योंकि यह एक्ट ऐसा एक्ट है जो भारत देश के अलावा किसी भी अन्य देश में नहीं है और इस एक्ट के कानून में जिन धाराओं का उल्लेख है वह धाराएं 4, 5, 6, 7, 8, 9 जो मनमानी धाराएं है इसके अलावा वक्फ कानून का जो प्रावधान है संविधान के अनुच्छेद 14 और 15- का भी उल्लंघन करती है जो समता एवं समानता का अधिकार देती है। ऐसी स्थिति में वक्फ एक्ट को खत्म किया जा सकता है जो भारतीयों के बीच असमानता और आपसी टकराव पैदा करती है। रतलाम प्रेस भवन में आयोजित पत्रकार वार्ता में शहजाद मो. बूंदी उपाध्यक्ष, जब्बार शाह अध्यक्ष कोटा, मो हुसैन शाह अयाना सेक्रेटरी, जाकिर हुसैन बांरा कोषाध्यक्ष सहित पदाधिकारी उपस्थित थे।