डीपी वायर के संचालक अरविंद कटारिया और मैनेजर पर केस दर्ज, कर्मचारी की मौत के मामले में औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा विभाग ने दायर किया वाद
रतलाम । डी. पी. वायर्स उद्योग के विरुद्ध रतलाम की मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के न्यायालय में वाद दायर किया गया है। मामले में उद्योग के मालिक और प्रबंधन के विरुद्ध आपराधिक प्रकरण दर्ज किया गया है। उद्योग प्रबंधन के विरुद्ध श्रम न्यायालय में भी प्रकरण चलेगा।
औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा विभाग उज्जैन के काराखाना निरीक्षक हिमांशु सोलोमन ने बताया कि रतलाम के औद्योगिक क्षेत्र स्थिति डी. पी. वायर्स लिमिटेड उद्योग में दिनांक 03 जुलाई, 2024 को 22 वर्षीय नितिन सरोज नामक कर्मचारी की मौत हो गई थी। नितिन रात्रिकालीन शिफ्ट में वायर ड्राइंग मशीन पर कार्य कर रहा था। उसकी सुबह करीब 7.30 बजे छुट्टी होने वाली थी लेकिन सुबह करीब 6 बजे कारखाने में बारिश का पानी फैला होने से करंट लगने से नितिन चपेट में आ गया था।
निरीक्षक सोलोमन ने बताया कि घटना की जानकारी मिलने पर जांच की गई तो उद्योग में कारखाना अधिनियम 1948 धारा 7ए-2सी एवं नियम 73 का उल्लंघन होना पाया गया। इसके लिए डी. पी. वायर्स के संचालक अरंविद कटारिया एवं कारखाना प्रबंधक विजय सोनी को घटना के लिए जिम्मेदार पाया गया है। इसके चलते दोनों के विरुद्ध रतलाम के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के न्यायालय में आपराधिक प्रकरण दायर किया गया है। सोलोमन के अनुसार ऐसे मामले में दोष सिद्ध पाए जाने पर एक लाख रुपए का जुर्माना, दो साल की सजा अथवा दोनों हो सकता है।
श्रम न्यायालय को भी भेजी जानकारी
जांच अधिकारी के अनुसार अधिनियम में मृतक श्रमिक को क्षतिपूर्ति राशि के भुगतान का प्रावधान भी है। अत: मृतक के आश्रितों को क्षतिपूर्ति राशि के भुगतान के लिए श्रम न्यायालय को भी जानकारी प्रेषित की गई है जिसमें उद्योग प्रबंधन के विरुद्ध कार्यवाही का अनुरोध किया गया है।
मिर्जापुर से आया था परिवार
जानकारी के अनुसार मृतक नितिन का करीब 8 माह का एक बेटा है। नितिन का पूरा परिवार मूलत: उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर का रहने वाला था जो कुछ वर्ष पहले रतलाम आकर शहर के शिवनगर क्षेत्र में रहने लगा था। हादसे में श्रमिक की मौत के बाद उद्योग के मजदूरों में आक्रोश फैल गया था। उन्होंने प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाया था। उनका कहना था कि उद्योग में सुरक्षा नियमों की हमेशा अनदेखी की जाती है। सभी मजदूर जान हथेली पर लेकर काम करने को मजबूर हैं।