युवाओं के व्यक्तित्व विकास के लिए अनुकूल अवसर जिला स्तरीय युवा उत्सव का आगाज
रतलाम : शासकीय कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में जिला स्तरीय युवा उत्सव का आयोजन हुआ। छात्राओं ने विभिन्न विधाओं में आकर्षक प्रस्तुतियां देकर प्रतिभा का प्रदर्शन किया।
अतिथि व प्राचार्य डॉ सुरेश कटारिया ने मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। संगीत विभाग की छात्राओं ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। इसके पश्चात महाविद्यालय स्तर पर आयोजित प्रतियोगिताओं में विजेता रही छात्राओं को प्रमाण-पत्र वितरित कर सम्मानित किया गया।
युवा उत्सव की नोडल अधिकारी व संगीत विभाग की विभागाध्यक्ष डा. बी. वर्षा ने बताया कि इस वर्ष शासकीय कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में 22 में से छह विधाओं को छोडक़र बाकी 16 विधाएं महाविद्यालय में आयोजित की जा रही है। इसमें वक्तृत्व, वाद-विवाद, लघु नाटिका, नाटक, एकल नृत्य, समूह नृत्य, व्यंग चित्र और कोलाज प्रतियोगिता सोमवार को आयोजित की गई। 14 नवंबर को चित्रकला, एकल वादन (परकुशन), एकल वादन (नान कुशन), एकल पाश्चात्य गायन, समूह पाश्चात्य गायन, एकल गायन शास्त्रीय, भारतीय समूह गायन, भारतीय सुगम संगीत विधाएं आयोजित होंगी।
निर्णायक वरिष्ठ रंगकर्मी ओपी मिश्रा ने कहा के युवा उत्सव के माध्यम से युवाओं की सांस्कृतिक, बौद्धिक विधाओं में भागीदारी कर छात्राएं अपनी श्रेष्ठ से श्रेष्ठतम अभिरुचि, कलात्मक क्षमताओं का प्रदर्शन और विकास करती हैं। कार्यक्रम के द्वितीय निर्णायक युवा साहित्यकार आशीष दशोत्तर ने कहा कि सभी छात्राओं को अध्ययन के साथ-साथ सभी गतिविधियों में भागीदारी करनी चाहिए। इससे उनके व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास हो सकता है।युवा उत्सव आमतौर पर थीम पर आधारित होते हैं, जो कला, शिक्षा या सामाजिक विषयों पर केंद्रित होते हैं। छात्राओं के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने और उनकी पाठ्यचर्या गतिविधि के संबंध में उनकी क्षमताओं में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन लाने के लिए महाविद्यालय में आयोजित किया जाता है।
डा. सुरेश कटारिया ने कहा कि दृढ़ इच्छा शक्ति और आत्मविश्वास युवाओं को अपनी मंजिल दिलाने में सहायक होता है। संगठन और कर्म की भावना हर किसी में होनी चाहिए, तभी वह व्यक्तित्व का विकास कर राष्ट्र का विकास कर सकता है। युवा उत्सव में होने वाली प्रतियोगिता में प्रत्येक प्रतिभागी में ऊर्जा का प्रवाह होता है। संचालन डा. अनामिका सारस्वत ने किया। आभार डा. रोहित चावरे ने माना।