दस्तावेजों की ड्राफ्टिंग करते समय सावधानियां रखें सीए-सलाहकार -कर सलाहकार परिषद के सेमिनार में वरिष्ठ अधिवक्ता ऋषि अग्रवाल ने कहा

रतलाम : कर सलाहकार परिषद द्वारा आयोजित सेमिनार में वरिष्ठ अधिवक्ता ऋषि अग्रवाल द्वारा लीगल डाक्यूमेंट्स व डीड ड्राफ्टिंग के विषय में विस्तृत जानकारी दी गई। उन्होंने बताया कि यदि कर सलाहकार व सीए दस्तावेजों की ड्राफ्टिंग करते समय कुछ महत्वपूर्ण सावधानियां रखें, तो ये दस्तावेज न केवल अपने उद्देश्यों को पूरा करते हैं, बल्कि जीवनभर उपयोगी रहते हैं और भविष्य में न्यायिक विवादों से बचा जा सकता है।
इससे पहले अध्यक्ष सीबी रावत व उपाध्यक्ष अशोक भंडारी द्वारा अग्रवाल का स्वागत किया गया। सचिव राकेश भटेवरा ने स्वागत भाषण देते हुए बताया कि भारत के लोग ऋषि मुनियों से ज्ञान प्राप्त करते रहे हैं। आज हमारे बीच ऋषि अग्रवाल मौजूद है। कर सलाहकार, चार्टर्ड अकाउंटेंट्स व अधिवक्ता के बीच समन्वय होना चाहिए, क्योंकि दोनों ही कानून के लिए काम कर रहे हैं। वर्ष में एक या दो बार अधिवक्ता व कर सलाहकारों की संयुक्त स्टडी सर्किल मीटिंग होना चाहिए। अतिथि को स्मृति चिह्न व एसडी पुरोहित अवार्ड दिलीप पाटनी, जेपी डफरिया, अनंत चोपड़ा, रजत बोराना, धनसुख भंडारी, माधव काकानी, शगुन बडज़ात्या, सुशील जैन, अशोक भंडारी ने दिए। संचालन संदीप मूणत ने किया। आभार पूर्व अध्यक्ष राजेश खाबिया ने माना।
मध्यप्रदेश वैट स्वमूल्यांकन योजना 2023-24 इस विषय पर सीए नवीन पोखरना द्वारा व्याख्यान दिया गया। इसमें उन्होंने योजना के प्रमुख बिंदुओं पर प्रकाश डाला। मध्यप्रदेश वाणिज्यिक कर विभाग द्वारा वर्ष 2023-24 के लिए वैट स्वमूल्यांकन योजना लागू की गई है। इस योजना का लाभ केवल वे सीएनजी, पेट्रोल व डीजल विक्रेता ले सकेंगे, जिन्होंने समय पर रिटर्न भरा है व कर जमा किया है। आवेदन की अंतिम तारीख एक सितंबर 2025 है। पात्र व्यापारी आवश्यक दस्तावेजों सहित आवेदन कर सकते हैं। टैक्स चोरी, विभागीय जांच अथवा रिफंड क्लेम से जुड़े व्यापारी इस योजना का लाभ नहीं ले सकेंगे।
-कैसे रखे सावधानिया
- दस्तावेजों को कापी पेस्ट करने के बजाय नए सिरे से तैयार करें, ताकि त्रुटियों से बचा जा सके।
- थ्री सी-क्लीयर, कोनसाइज और कम्पलीट का पालन करते हुए दस्तावेज स्पष्ट, संक्षिप्त व पूर्ण जानकारी के साथ बनाएं।
- भाषा ऐसी हो जो कम शब्दों में भी सरलता से समझ में आ सके।
- दस्तावेज़ क्लाइंट के उद्देश्य और सभी संबंधित लीगल प्रविधानों को पूरा करने में सक्षम हो।
- प्रमुख अधिनियमों के साथ-साथ अन्य कानूनी प्रविधानों का भी ध्यान रखें, जैसे पार्टनरशिप डीड बनाते समय आयकर अधिनियम के प्रविधानों को भी सम्मिलित करें।
- दस्तावेज़ में माडिफिकेशन क्लाज अवश्य रखें, ताकि समयानुसार परिवर्तन किया जा सके।
- सभी आवश्यक क्लाज जैसे पार्टनर की मृत्यु आदि की स्थिति को स्पष्ट रूप से शामिल करें। यदि कोई महत्वपूर्ण क्लाज छूट जाती है तो बाद में अन्य अधिनियमों के माध्यम से विवाद निपटाना जटिल हो सकता है।
- अधिक स्टाम्प ड्यूटी लगाकर क्लाइंट को अनावश्यक आर्थिक नुकसान न पहुंचाएं।
- यदि क्लाइंट क्रोध या तनाव की स्थिति में दस्तावेज़ बनवाता है, तब भी उसमें केवल संवैधानिक और विधिसम्मत भाषा का उपयोग किया जाना चाहिए।
- ड्राफ्ट में किसी भी बात की पुनरावृत्ति नहीं होनी चाहिए।
- दस्तावेज में पक्ष क्रमांक एक व पक्ष क्रमांक दो जैसे स्पष्ट पैटर्न का प्रयोग करें, जिससे समझ में स्पष्टता बनी रहे।