उत्तम, मध्यम, अधम प्रकार के मनुष्य कभी पाप नहीं करते - मुनिराज ज्ञानबोधी विजयजी म.सा
रतलाम। सैलाना वालों की हवेली मोहन टाकीज में आचार्य श्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी म.सा के शिष्य मुनिराज ज्ञानबोधी विजयजी म.सा.ने मनुष्य के अलग-अलग प्रकार बताए। उन्होने कहा कि उत्तम, मध्यम, अधम प्रकार के मनुष्य जीवन में कभी पाप नहीं करते है।
सोमवार के प्रवचन में मुनिराज ने कहा कि मनुष्य जीवन का मूल्य अगर समझना है तो रोज सोते समय और सुबह उठकर सोचना चाहिए कि दिन कैसा गया? सज्जन जैसा या पशु जैसा? मनुष्य चार प्रकार के होते है -उत्तम, मध्यम, अधम और अधाअधम। उत्तम प्रकार का मनुष्य जीवन में कभी पाप नहीं करता। उसका स्वभाव और सोच ऐसी ही होती है। मध्यम प्रकार के मनुष्य पाप इसलिए नहीं करते कि उन्हें परलोक का डर है। प्रभु ने भी कहा है कि जो इस जन्म में पाप करेगा, वह नर्क में जाएगा। ऐसे मनुष्य नर्क के डर से पाप नहीं करते है।
मुनिराज ने आराधना में आगे बढने और विराधना में पीछे हटने का आव्हान करते हुए कहा कि जिस दिन अपने अंदर मालिक मिटाकर मेहमान बन जाएंगे, उस दिन अंदर के पाप मिट जाएंगे। उन्होने कहा कि अधम प्रकार का मनुष्य भी पाप नहीं करता क्योकि उसे इज्जत प्यारी होती है। वह यद्यपि परलोक नहीं मानता है, लेकिन उसे खानदान का डर है।
मुनिराज ने मनुष्य के चौथे प्रकार अधाअधम के बारे में कहा कि ऐसा मनुष्य सिर्फ पाप करता है, किसी से डरता नहीं है। प्रवचन में श्री देवसूर तपागच्छ चारथुई जैन श्रीसंघ गुजराती उपाश्रय, श्री ऋषभदेवजी केशरीमलजी जैन श्वेताम्बर तीर्थ पेढी रतलाम सदस्यों सहित बडी संख्या में श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित रहे।