आज देश के संविधान,लोकतंत्र, एकता और अखंडता को खतरा हुकमरानों से है: जसविंदर सिंह

आज देश के संविधान,लोकतंत्र, एकता और अखंडता को खतरा हुकमरानों से है: जसविंदर सिंह

रतलाम। चिंता की बात यह नहीं कि राजनीतिक बहस से बौखलाया पुलिस अधिकारी तीन लोगों को मौत के घाट उतार देता है। चिंता की बात यह भी नहीं कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए खतरे की घंटी है। चिंताजनक यह है कि इस घटना के 48 घंटे बाद भी रेल मंत्री ने न तो निंदा की है और न ही हर रोज रेल यात्रा करनेवाले एक करोड नागरिकों को सुरक्षा का भरोसा दिलाया है।
पाक्षिक पत्रिका लोकजतन के पुर्व संपादक जसविंदर सिंह ने आज रतलाम मे शैलेंद्र शैली स्मृति व्याख्यान को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि अनेकता में एकता का नारा हमारे आजादी के सौ साल के संघर्षों के अनुभव का परिणाम है। मगर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एन डी ए सरकार धर्मनिरपेक्ष और संघीय ढांचे के लिए ही खतरे पैदा कर रही है। उसे मणिपुर की अमानवीय और हृदयविदारक घटनाओं के बाद भी प्रधानमंत्री और संसद खमोश है।
जसविंदर सिंह ने कहा कि अब इन घटनाओं का विस्तार हो रहा है। हरियाणा में एक फरार अपराधी का आपत्तिजनक वीडियो वायरल होता है, वह संवेदनशील स्थानों से उत्तेजक नारे लगाते हुए रैली निकालता है और हरियाणा सरकार और प्रशासन यह सब होने देता है।
जसविंदर सिंह ने कहा कि जब यह चल रहा है तभी सरकार संसद में कानून पास करती है कि नकली दवा बनाने वालों को जेल नहीं होगी। जिससे साफ है कि धर्म के नाम पर चलने वाली सरकार असल में मिलावटखोरों की सरकार है। उन्होंने इसके खिलाफ जनता को जागृत करने की अपील की।
व्याख्यान को संबोधित करते हुए प्रो रतन चौहान ने खतरों का जिक्र करते हुए कहा कि यह समय उठ ख?े होने का है। उन्होंने कविता के माध्यम से भी अपनी बात कही। व्याख्यान की शुरुआत मांगीलाल नागावत ने की। आभार प्रदर्शन रंजीत सिंह राठौ? ने किया। अध्यक्षता कांतिलाल निनामा और संचालन अश्विन शर्मा ने किया।