गोष्ठी में जुझारसिंह भाटी ने कहा साहित्य समाज का दर्पण है’
रतलाम। सुषमा साहित्यिक संस्थान के संरक्षक सुभाष यादव के निवास स्थान पर काव्य गोष्ठी हुई। अध्यक्षता कवि जुझारसिंह भाटी ने की। डा. प्रमोद झरिया तथा वरिष्ठ गीतकार हरिशंकर भटनागर अतिथि थे।
भाटी ने कहा कि कवि की कल्पना और विचारों का तालमेल जब किसी नवसृजन का निर्माण करती है तो सामाजिक चुनौतियों के माध्यम से होने वाली परेशान के बीच जीवन के विभिन्न पहलुओं को छूने वाली कविताएं प्रेरणादायक, मार्गदर्शक, वैचारिक शक्ति बनकर उभरती हुई सामने आती हैं और प्रतिकूल परिस्थितियों को जीत में बदल देती है। सही मायनों में रचनाकार मानवीय अनुभव को प्रतिबिंबित करने वाला एक दर्पण भी है। इसीलिए कहा जाता है साहित्य समाज का दर्पण है और दर्पण कभी झूठ नहीं बोलते।
प्रारंभ में अखिल स्नेही ने मां सरस्वती की वंदना की। जवेरीलाल गोयल ने कहानी सम्राट मुंशी प्रेमचंद के लेखन को केंद्र बिंदु में रखते हुए कविता पाठ किया। श्याम सुंदर भाटी, रामचंद्र फुहार, गौरीशंकर खींची, जन्मेजय उपाध्याय ने अपनी कविताओं में वर्तमान हालात बयां किए। जुझारसिंह भाटी व प्रकाश हेमावत ने वर्तमान हालात पर राजनीतिक टिका टिप्पणी के माध्यम से व्यंग्य कसा, वहीं अब्दुल सलाम खोखर, दिनेश उपाध्याय, लक्ष्मण पाठक ने गजल में समय की कीमत बताते हुए जरा-सा भी समय बर्बाद मत होने दीजिए का संदेश दिया। सुभाष यादव, इंदु सिन्हा, दिनेश जैन ने कहा कि जीवन में सुख और शांति के लिए प्रेम होना बहुत जरूरी है। भूपेंद्रसिंह सिसोदिया, प्रणयेश जैन, अर्पिता परिहार, निशा मोरवाल, दीपिका शेखावत, मंजू शर्मा, आयुष बैरागी आदि विशेष रूप से उपस्थित थे। संचालन प्रकाश हेमावत ने किया। आभार सुभाष यादव ने माना।