न्यायायल के आदेश की अवहेलना करना भारी पड़ गया रतलाम कलेक्टर को, पहलवान शाह दरगाह मामले मे कलेक्टर समेत अन्य अधिकारियों को हाइकोर्ट इंदौर ने किया तलब
रतलाम। दरगाह पहलवान शाह बाबा मामले में प्रशासन की मनमानी अब कानून के शिकंजे में फंसती दिख रही है। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट, इंदौर में दायर अवमानना याचिका में हाइकोर्ट ने कलेक्टर समेत अन्य अधिकारियों की कार्यवाही को उच्च न्यायालय की अवमानना" करार दिया है। याचिका में प्रमुख पार्टी में कलेक्टर राजेश बाथम, तहसीलदार ऋषभ ठाकुर के साथ अन्य अधिकारी शामिल हैं।
हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी
हाईकोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए, 11 दिसंबर 2024 को हुई सुनवाई में राज्य के उप महाधिवक्ता (Deputy Advocate General) को निर्देश दिए कि वे सरकार से स्पष्ट निर्देश लेकर हाइकोर्ट में जवाब पेश करें। हाइकोर्ट ने कहा कि याचिका में प्रस्तुत तथ्यों के अनुसार, यह मामला "उच्च न्यायालय के आदेश की घोर अवहेलना" का प्रतीत होता है। जो आज भी जारी है।
आवेदकों की दलील
याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता अहमद दरबारी (Ahmad Darbari) ने अदालत को बताया कि प्रशासन द्वारा की गई बेदखली की कार्रवाई हाईकोर्ट के पूर्व के आदेशों के खिलाफ है। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि न्यायालय के स्पष्ट निर्देश के बावजूद प्रशासन ने मनमानी करते हुए अवैध तरीके से तहसीदार के आदेश जारी रखते हुए बेदखली की कार्यवाही की है, जो कानून का सीधा उल्लंघन है।
अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल
इस मामले में न सिर्फ कलेक्टर राजेश बाथम की भूमिका संदेह के घेरे में है, बल्कि तहसीलदार ऋषभ ठाकुर, और राजस्व अपीलीय अधिकारी व लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों पर भी उंगलियां उठ रही हैं।
आगे की सुनवाई
हाईकोर्ट ने उप महाधिवक्ता को निर्देश दिया है कि वह याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर याचिका की कॉपी प्राप्त कर राज्य सरकार से निर्देश लेकर 17 दिसंबर 2024 को कोर्ट में प्रस्तुत हों।
प्रशासन की मुश्किलें बढ़ीं
हाईकोर्ट के इस कड़े रुख से कलेक्टर राजेश बाथम और अन्य अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। प्रशासनिक गलियारों में इस मामले को लेकर भारी हलचल मची हुई है। अब देखना यह है कि क्या सरकार अपने अधिकारियों की अवहेलना को सही ठहराती है या फिर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
इसे भी पढ़ें :दरगाह मामला हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना, कलेक्टर समेत अधिकारियों पर शिकंजा कसता हुआ
रतलाम – दरगाह पहलवान शाह बाबा मामले में प्रशासन की मनमानी अब कानून के शिकंजे में फंसती दिख रही है। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट, इंदौर में दायर अवमानना याचिका में हाइकोर्ट ने कलेक्टर समेत अन्य अधिकारियों की कार्यवाही को उच्च न्यायालय की अवमानना" करार दिया है। याचिका में प्रमुख पार्टी में कलेक्टर राजेश बाथम, तहसीलदार ऋषभ ठाकुर के साथ अन्य अधिकारी शामिल हैं।
हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी
हाईकोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए, 11 दिसंबर 2024 को हुई सुनवाई में राज्य के उप महाधिवक्ता (Deputy Advocate General) को निर्देश दिए कि वे सरकार से स्पष्ट निर्देश लेकर हाइकोर्ट में जवाब पेश करें। हाइकोर्ट ने कहा कि याचिका में प्रस्तुत तथ्यों के अनुसार, यह मामला "उच्च न्यायालय के आदेश की घोर अवहेलना" का प्रतीत होता है। जो आज भी जारी है।
आवेदकों की दलील
याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता अहमद दरबारी (Ahmad Darbari) ने अदालत को बताया कि प्रशासन द्वारा की गई बेदखली की कार्रवाई हाईकोर्ट के पूर्व के आदेशों के खिलाफ है। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि न्यायालय के स्पष्ट निर्देश के बावजूद प्रशासन ने मनमानी करते हुए अवैध तरीके से तहसीदार के आदेश जारी रखते हुए बेदखली की कार्यवाही की है, जो कानून का सीधा उल्लंघन है।
अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल
इस मामले में न सिर्फ कलेक्टर राजेश बाथम की भूमिका संदेह के घेरे में है, बल्कि तहसीलदार ऋषभ ठाकुर, और राजस्व अपीलीय अधिकारी व लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों पर भी उंगलियां उठ रही हैं।
आगे की सुनवाई
हाईकोर्ट ने उप महाधिवक्ता को निर्देश दिया है कि वह याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर याचिका की कॉपी प्राप्त कर राज्य सरकार से निर्देश लेकर 17 दिसंबर 2024 को कोर्ट में प्रस्तुत हों।
प्रशासन की मुश्किलें बढ़ीं
हाईकोर्ट के इस कड़े रुख से कलेक्टर राजेश बाथम और अन्य अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। प्रशासनिक गलियारों में इस मामले को लेकर भारी हलचल मची हुई है। अब देखना यह है कि क्या सरकार अपने अधिकारियों की अवहेलना को सही ठहराती है या फिर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।