ताल तहसील को नागदा जिले में सम्मिलित किए जाने का पुरजोर विरोध, रतलाम से हटाना गैर व्यवहारिक-नाराज नागरिकों ने मुख्यमंत्री के नाम सौंपा ज्ञापन

ताल तहसील को नागदा जिले में सम्मिलित किए जाने का पुरजोर विरोध, रतलाम से हटाना गैर व्यवहारिक-नाराज नागरिकों ने मुख्यमंत्री के नाम सौंपा ज्ञापन

ताल। नागदा जिले में ताल तहसील को सम्मिलित किए जाने का पुरजोर विरोध शुरू हो गया है। गुरुवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नागदा प्रवास पर नागदा को जिला बनाए जाने की घोषणा की थी ।साथ ही यह भी कहा था कि जो तहसीलें स्वेच्छा से इसमें सम्मिलित होंगी, उन्हें ही नागदा जिले में सम्मिलित किया जाएगा ।मुख्यमंत्री जी की घोषणा के विपरीत ताल तहसील को आम नागरिकों और जनप्रतिनिधियों की असहमति के बावजूद नागदा जिले में सम्मिलित करने की शासन की मंशा के विरुद्ध यहां जन आक्रोश भडक़ गया है।

शनिवार को व्यापारी महासंघ के बैनर तले बड़ी संख्या में आम लोगों ने सम्मिलित होकर एक जुलूस निकाला। जुलूस नगर के विभिन्न मार्गो से होता हुआ पुलिस थाने पहुंचा ,जहां थाना प्रभारी नागेश यादव एवं तहसीलदार के प्रतिनिधि पटवारी रंगलाल शर्मा के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया गया।
ज्ञापन में कहा गया है कि  मुख्यमंत्री जी ने नागदा को जिला बनाते समय कहा था कि जो तहसीलें  इसमें स्वेच्छा से सम्मिलित होंगी उन्हें ही सम्मिलित किया जाएगा ।मुख्यमंत्री जी की घोषणा के बावजूद ताल तहसील को नागरिकों की सहमति के बिना नागदा जिले में सम्मिलित किए जाने की शासन स्तर से कार्रवाई प्रारंभ हो गई है जो पूरी तरह अनुचित है।
  स्थानीय नागरिकों का कहना है कि वे रतलाम जिले में ही रहना चाहते हैं। व्यापारियों का कहना है कि उनका व्यापार व्यवसाय रतलाम से चलता है। वहीं आम नागरिकों का कहना है कि उनके बच्चे उच्च शिक्षा के लिए जावरा रतलाम जाते हैं। इसलिए नागदा जिला ताल तहसील के लिए पूरी तरह गैर व्यवहारिक है ।रतलाम सदियों पुराना ऐतिहासिक शहर है। उसकी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सेव, साड़ी और सोने के लिए अपनी एक विशिष्ट पहचान है। देश और विदेश में अपनी सांस्कृतिक पहचान रखने वाले रतलाम जिले का दामन यहां के नागरिक छोडऩा नहीं चाहते हैं।
ज्ञापन देने वालों में विधायक मनोज चावला, व्यापारी महासंघ के नगर अध्यक्ष श्याम माहेश्वरी, पार्षद पवन मोदी, पूर्व पार्षद नवीन मेहता, नरेंद्र मेहता ,नटवर सोनी ,सामाजिक कार्यकर्ता गोल्डी धनोतिया, शिवनारायण शुक्ला,पारस जैन, हेमंत पोरवाल, सुनील कुमार बांठीया, नरेंद्र  भरगट, हरि नारायण राठौर, अनिकेत देवड़ा ,पुष्कर धनोतिया सहित बड़ी संख्या में व्यापारी एवं आम लोग सम्मिलित हुए। शासन में यदि लोगों की इच्छा के अनुरूप ताल तहसील को नागदा जिले में सम्मिलित किया तो आने वाले दिनों में उग्र आंदोलन की संभावना है साथ ही आगामी विधानसभा चुनावों में सत्ताधारी दल को मतदाताओं की नाराजगी भी झेलना पड़ सकती है।
कुछ लोगों का यह भी कहना है कि नागदा उज्जैन जिले की तहसील है। इसलिए नागदा को जिला बनाने के लिए उज्जैन की तहसीलों को उसमें सम्मिलित किया जाना चाहिए। उज्जैन जिले की महिदपुर, बडऩगर तहसीलें तो उसमें शामिल होना नहीं चाहती हैं। ऐसे में रतलाम जिले की तहसीलों को अनावश्यक रूप से जोडक़र जिला बनाया जाना पूरी तरह से गैर व्यवहारिक है।