मुस्लिम समाज की स्कूली प्रतिभाओं को सम्मान से नवाजा -एक्सीलेंस कालेज में मुस्लिम स्टूडेंट एज्युकेशन एंड वेलफेयर सोसायटी द्वारा  10वीं व 12वीं  के 90 मेघावी विद्यार्थियों का सम्मानित किया गया

मुस्लिम समाज की स्कूली प्रतिभाओं को सम्मान से नवाजा -एक्सीलेंस कालेज में मुस्लिम स्टूडेंट एज्युकेशन एंड वेलफेयर सोसायटी द्वारा  10वीं व 12वीं  के 90 मेघावी विद्यार्थियों का सम्मानित किया गया

रतलाम। मोबाइल फोन से दूरी बनाकर रखे। वर्तमान दौर में मोबाइल फोन जरूरी है, उसका उपयोग सीखने व पढऩे के लिए करे। देखने में आता है कि बर्थ-डे, पारीपारिक कार्यक्रम आदि के फोटो विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर पोस्ट किए जाते है। ऐसा न करें, क्योंकि कई बार सायबर अपराधी उनका दुरुप्रयोग करते है और विभत्स रूप सामने आता है। पढऩा कठिन नहीं है, हमने उसे कठिन बना दिया है। दादी-नानी काहनी-किस्से सुनाती है, वह हमें याद रहते है। कोई फिल्म या टीवी धारावाहिक देखते है, तो वह भी आसानी से याद हो जाता है। वहीं किताबे पढना कठिन लगता है। किताबों की पढ़ाई भी काहनी-किस्सों के रूप में याद करें। पढऩे में कभी कठिनाई नहीं होगी। मन लगाकर पढ़े।
यह बात प्रधानमंत्री कालेज आफ एक्सीलेंस शासकीय कला एवं विज्ञान महाविद्यालय के प्राचार्य डा.ेवायके मिश्र ने मुस्लिम स्टूडेंट एज्युकेशन एंड वेलफेयर सोसायटी द्वारा लायंस हाल में रविवार को आयोजित प्रतिभा सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में कही। समारोह में 10वीं व 12वीं परीक्षा में 75 या उससे अधिक अंक लाने वाले 90 विद्यार्थियों का सम्मान किया गया। साथ ही अंग्रेजी में स्पीच देने पर छटी कक्षा की छात्रा अनम कुरैशी का भी सम्मान किया गया। विशेष अतिथि लेखक व सूफी रचनाकार पं. मुस्तफा आरिफ ने कहा कि  प्राकृतिक पर्यावरण का प्रदूषण व सोच का प्रदूषण चिंता व सोच का विषय है। अल्लाह ने हवा, पानी, धरती सभी हमें स्वच्छ दी, लेकिन लालच कहों या अन्य बात, सभी को प्रदूषित कर दिया गया है। इसके परिणाम भी सामने आ रहे है। पर्यावरण प्रदूषण रोकने के लिए हमें पौधारोपण करने के साथ ही धरती का ध्यान रखना होगा। वहीं इंटरनेट, सोशल मीडिया ने वैचारिक सोच बदल दी है। जो परोसा जा रहा है, वही सच समझा जा रहा है, जबकि सब सच नहीं है। हम किताबों, साहित्य से दूर हो रहे है। मोबाइल फोन या इंटरनेट के भरोसे न रहे। पिछले दिनों माइक्रोशाप सरवर में आई गड़बड़ी से कई आफिस ठप हो गए थे। वहीं किसी अन्य गड़बड़ी से 300 बैंकों का डाटा खत्म हो गया। जरूरत है बुनियादी किताबें व साहित्य पढऩे की। हम इंटरनेट के भरोसे रहे तो जिस दिन सेटेलाइट खत्म होगा, उस दिन हमारा क्या होगा। अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ रंगकर्मी व सेवानिवृत्त प्राचार्य ओमप्रकाश मिश्रा ने कहा कि किसे डाक्टर, इंजीनियर आदि बनना है, यह बच्चों को तय करने दें। माता-पिता तय न करें कि बच्चा क्या बनेगा।  दुनिया को जानना चाहते है तो कोर्स की किताबों के अलावा प्रतिदिन अच्छी पत्रिकाएं, उपान्यास, कविता, साहित्य, गजल यानी कुछ न कुछ जरूर पढ़े।

-पढ़ाई के लिए अंजुमन संस्था करेंगी मदद
विशेष अतिथि अंजुमन संस्था के अध्यक्ष इब्राहिम शेरानी ने कहा कि अंजूमन शिक्षा व चिकित्सा के क्षेत्र में समाज के लोगों की मदद करनें में कभी पीछे नहीं रहेगी।सोसायजी ई-लायब्रेरी खोलना चाहती है, उसमें भी पूरा सहयोग देंगे। गांधी स्कूल में जो कमियां है, उन्हें दूर किया जाएगा।स्कूल में अध्ययनरत निर्धन सौ बच्चों की फीस अंजुमन भरेगी। इसके लिए बच्चों को प्रतिदिन स्कूल जाना तथा मासिक टेस्ट व हर परीक्षा में उत्तीर्ण होना होगा। इसके अलावा समाज के बच्चों को शिक्षा के क्षेत्र में जहां भी कोई समस्या होगी, उसे भी दूर करने की कोशिश की जाएगी।विशेष अतिथि समाजसेवी सय्यद मुख्यियार अली ने कहा कि सोसायटी द्वारा वर्षों से समाज के बच्चों को कोर्स की किताबे देने के साथ अच्छी पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित करने का कार्य किया जा रहा है, जिससें समाज में शिक्षा का स्तर बढ़ रहा है।देखने में आ रहा है कि बेटियां ज्यादा पढ़ रही है। अभिभावकों को बेटों को भी पढ़ाने पर ध्यान देने की जरूरत है।हर क्षेत्र की तरह समय के साथ पढ़ाई में चेंज आया है। आगे बढऩा है तो अच्छी शिक्षा लेने के साथ अपडेट रहे। प्रारंभ में सोसायटी संयोजक इकबाल एहमद कुरैशी, अध्यक्ष इशहाक खान, उपाध्यक्ष लियाकत अली, अब्दुल अजीज खान, सचिव मोहम्मद सलीम खान, सहसचिव अशफाक खान कुरैशी, शकील एहमद सिद्दीकी, शहनवाज खान, जुनैद अख्तर, आबिद खान, अफताब खान, आदिल खान आदि ने अतिथियों का स्वागत किया। संस्था गतिविधियों की जानकारी सचिव मोहम्मद सलीम खान ने दी। संचालन सैयद इम्तियाज अली (जावरा) व इकबाल खान ने किया। आभार अशफाक एहमद कुरैशी ने माना।