जहां संयोग होता है, वहां वियोग भी होता है-आचार्य श्री कुलबोधि म.सा.
रतलाम। आनंद के समुंदर के नीचे शोक का महासागर भी है। हर व्यक्ति को जीवन का एक सूत्र याद रखना चाहिए कि मैं कायम हूं लेकिन मेरे आस-पास कुछ भी कायम नहीं है। जहां संयोग होता है, वहां वियोग भी होता है। लेकिन हम उसे समझते नहीं है, इसलिए दुखी होते है।
यह वचन आचार्य श्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी म.सा. ने सैलाना वालों की हवेली मोहन टॉकीज में कहे। आचार्य श्री ने प्रवचन में कहा कि जैसे फूल सुबह खिलता है और शाम को मुरझा जाता है, सूरज सुबह निकलता है और शाम को डूब जाता है। ऐसे ही जिसका साथ मिला है, वह कभी न कभी छूट जाएगा। आपका पैसा, आभूषण, पत्नी, बच्चे कोई भी कायम नहीं है। एक न एक दिन सब हमे छोडकर चले जाएंगे। हम खाली हाथ आए थे और खाली हाथ ही जाएंगे। जीवन की कोई पूंजी काम नहीं आएगी।
हमारी ट्रेजडी यह है कि जो कायम नहीं है, उसके लिए हम कायम है और जो कायम है, उसकी चिंता नहीं है। हर चीज पुरुषार्थ से नहीं, अपितु हमारे पुण्य से मिलती है। जब तक पुण्य मिलता है तब तक सफलता मिलती है। संसार में सब कुछ हमारे अनुकुल चले, यह संभव नहीं है। आप अच्छे का आनंद लो,लेकिन बुरे के लिए भी तैयार रहना चाहिए।
आचार्य श्री ने कहा कि सारा जगत परिवर्तनशील है। सुख-दुख, अमीर-गरीब, इस जन्म में कुछ भी शाश्वत नहीं है। शाश्वत सिर्फ नित्य तप है। प्रवचन के दौरान श्री देवसूर तपागच्छ चारथुई जैन श्रीसंघ गुजराती उपाश्रय, श्री ऋषभदेवजी केशरीमलजी जैन श्वेताम्बर तीर्थ पेढी रतलाम के सदस्य एवं बडी संख्या में श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित रहे। श्री संघ अध्यक्ष अभय लुनिया ने बताया कि आचार्य श्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी म.सा. की निश्रा में 23 जुलाई, रविवार को सैलाना वालों की हवेली मोहन टॉकीज में दूसरा युवा शिविर हेवेन इज हियर विषय पर होगा। शिविर के लाभार्थी विधायक चेतन्य काश्यप एवं परिवार रहेगा।