टंट्या मामा के पदचिह्नों पर चलने का आह्वान किया, जगह-जगह मनाया गया बलिदान दिवस
रतलाम। आदिवासी एकता परिषद, अखिल भारतीय भील समाज, जय आदिवासी युवा शक्ति, आदिवासी छात्र संगठन, महाराणा पूंजा भील जन कल्याण संगठन, वीर एकल आदिवासी सामाजिक सेवा संस्था द्वारा ग्राम मोरवानी के बिरसा मुंडा चौराहे पर टंट्या मामा का बलिदान दिवस श्रद्धापूर्वक मनाया गया। अतिथियों ने टंट्या मामा के पदचिह्नों पर चलने का आह्वान किया।
सर्वप्रथम टंट्या भील, महाराणा पूंजा भील, बिरसा मुंडा, डा. भीमराव आंबेडकर के चित्र पर श्रद्धासुमन अर्पित कर पूजा-अर्चना की गई। अतिथियों ने टंट्या मामा के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनका जन्म आदिवासी लोकगीत के अनुसार मकर संक्रांति के 12 दिन बाद 26 जनवरी 1842 को ग्राम बड़ौदा तहसील पधाना जिला खंडवा मप्र में हुआ था तथा चार दिसंबर 1889 को जबलपुर जेल में उन्हें फांसी की सजा दी गई थी। इस अवसर पर कैलाश गामड़, रामलाल मईड़ा, प्रभुलाल भाभर, शंकरलाल सिंघाड़ विशेष अतिथि कमलाबाई भूरिया, लीलाबाई सिंघाड़, राधाबाई गामड़, मीराबाई गामड़ कमलाबाई गामड़, पीयूष सिंघाड़, आर्यन सिंघाड़, सलोनी हाड़ा, नीलेश गरवाल, अर्पिता हाड़ा, सूरतलाल डामर सहित बड़ी संख्या में समाजजन उपस्थित थे।
-वाचनालय में भी मनाया बलिदान दिवस
बलिदानी भगत सिंह वाचनालय में टंट्या मामा का बलिदान दिवस मनाया गया। वरिष्ठ मांगीलाल नगावत ने टंट्या मामा के जीवन पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर किसान सभा की कला डामोर, सीमा निनामा, जनवादी लेखक संघ के जितेंद्रसिंह पथिक, प्रोग्रेसिव पेंशनर संगठन के कीर्ति शर्मा, सीपीआइएम के जिला सचिव रणजीतसिंह राठौर ने विचार रखे। आभार कला डामोर ने माना।
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मप्र में नहीं किया जा रहा आरक्षण नीति का पालन
-दिल्ली में आयोजित सम्मेलन के दौरान रतलाम के प्रतिनिधियों ने रखी अपनी बात
रतलाम। आदिवासी अधिकार राष्ट्रीय मंच द्वारा दिल्ली में आदिवासियों के रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य और भूमि से जुड़े मुद्दों को लेकर हरकिशन सिंह सुरजीत भवन नई दिल्ली में राष्ट्रीय सममेलन आयोजित किया गया। इसमें 16 राज्य के 295 डेलीगेट ने हिस्सा लिया।
मध्य प्रदेश से रतलाम, सिवनी, बालाघाट, नरसिंहपुर सतना, रीवा, शहडोल, अनूपपुर, जबलपुर, कटनी, नरसिंहपुर जिले के 33 साथियों ने हिस्सा लिया। रतलाम जिले से जितेंद्रसिंह भूरिया, कांतिलाल निनामा, कला डामर, लक्ष्मण कटारा, अशोक तौला डामर ने हिस्सा लिया। सम्मेलन का उद्घाटन त्रिपुरा के आदिवासी नेता और विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता डा. जितेंद्र चौधरी ने किया। रिपोर्ट राष्ट्रीय संयोजक व पूर्व सांसद पुलीन बासको ने पेश की। रतलाम के प्रतिनिधियों ने बताया कि मध्यप्रदेश में रोजगार की स्थिति चिंताजनक है। मप्र सरकार के संविदा, ठेका और आउट सोर्सिंग के काम में आदिवासियों के लिए आरक्षण नहीं है, जबकि संसदीय समिति ने सिफारिश की थी कि इन नौकरी में भी आरक्षण नीति का पालन किया जाए। अतिथि शिक्षक, असंगठित क्षेत्र में स्कीम वर्कर आशा, उषा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की भर्ती में आरक्षण नीति का पालन नहीं किया जाता है। आदिवासी अधिकार राष्ट्रीय मंच की बैठक में यह फैसला लिया गया है कि जनवरी माह में राज्यपाल निवास पर धरना प्रदर्शन किया जाएगा। दिसंबर माह में संभागीय सतर पर सम्मेलन और राज्य स्तरीय सम्मेलन किए जाएंगे।
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