ग्राम पंचायत में अनियमितता बरतने वाले जामथुन सरपंच कचरु डाबी को तीन माह में हटाने के आदेश, इंदौर हाईकोर्ट ने जारी किए आदेश
रतलाम। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर बेंच ने रतलाम पंचायत से जुड़े मामले में जिला प्रशासन की लापरवाही पर कड़ी नाराजगी जताई है। अदालत ने जांच रिपोर्ट के आधार पर सरपंच के खिलाफ तीन महीने के भीतर कार्रवाई करने का आदेश दिया है। याचिकाकर्ता रवि राज डोडियार ने अपनी याचिका में बताया कि 25 जुलाई 2023 को पेश हुई जांच रिपोर्ट में सरपंच के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की गई थी। इसके बावजूद जिला कलेक्टर द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई।
जिले के जनपद रतलाम अंतर्गत ग्राम जामथून के सरपंच को 3 माह में हटाने की कार्यवाही करने के आदेश मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय इंदौर खंडपीठ ने दिए हैं। पंचायत के उपसरपंच की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश दिए गए हैं। रतलाम जिला पंचायत पूर्व में ही सरपंच के कार्यों की जांच कर चुका है जिसमें समिति ने उन पर लगे आरोप सिद्ध पाए थे। इसके बावजूद सीईओ जिला पंचायत ने मामले में कार्यवाही नहीं की थी। जामथुन ग्राम पंचायत के सरपंच कचरू डाबी पर गंभीर अनियमितता जैसे डुप्लीकेट राशन कार्ड बनाने के गंभीर आरोप लगे थे जिस पर उपसरपंच रवि राज डोडियार व अन्य पंचों की शिकायत के आधार पर जांच समिति का गठन किया गया था। जांच समिति ने सभी पक्षों के बयान और दस्तावेजों के आधार पर दिनांक 25/07/24 को अपनी रिपोर्ट जारी की जिसमें सरपंच और ग्राम सचिव पर आरोप सिद्ध पाए गए। उक्त रिपोर्ट के आधार पर कलेक्टर कमिश्नर व अन्य अधिकारियों को याचिकाकर्ता तथा अन्य पंचों ने कई बार शिकायत दर्ज करवाई तथा सरपंच को मध्य प्रदेश पंचायत राज अधिनियम के प्रावधानों के स्पष्ट उल्लंघन के आधार पर हटाने का निवेदन किया परंतु कोई कार्यवाही नहीं की गई। याचिकाकर्ता उपसरपंच ने व्यथित होकर माननीय उच्च न्यायालय में अपने अधिवक्ता आशुतोष शर्मा एवं रोहित सिरतूरे के माध्यम से याचिका प्रस्तुत की थी। उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने याचिका की सुनवाई करते हुए कलेक्टर रतलाम को जांच रिपोर्ट के आधार पर सरपंच पर कार्यवाही करने हेतु निर्देश दिए है और पूरी कार्यवाही 3 महीने में पूर्ण करने का आदेश दिया गया है।
कलेक्टर की लापरवाही पर हाईकोर्ट का सख्त रुख
याचिकाकर्ता के वकील, ने तर्क दिया कि यह देरी मध्य प्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम, 1993 के नियमों का उल्लंघन है। अदालत ने कलेक्टर की इस लापरवाही पर नाराजगी जाहिर की है।
क्या है लापरवाही के कारण
1. जांच रिपोर्ट पर कार्रवाई में देरी दर्शाती है कि कलेक्टर ने मामले को लंबित रखा।
2. अधिकारों और जिम्मेदारियों की अनदेखी करते हुए, समयबद्ध कार्रवाई नहीं की गई।
3. अदालत को हस्तक्षेप करने की आवश्यकता पड़ी, जो प्रशासन की निष्क्रियता का प्रमाण है।
4. सुनवाई का अधिकार सुनिश्चित न करने से निष्पक्ष कार्रवाई में देरी हुई।
अदालत का आदेश
उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया कि रतलाम के कलेक्टर तीन महीने के भीतर सरपंच के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित करें और सुनवाई का उचित अवसर प्रदान करें।
जनता की प्रतिक्रिया
इस आदेश से जनता में उम्मीद जागी है कि प्रशासनिक लापरवाही पर अंकुश लगेगा और पंचायतों में पारदर्शिता व जवाबदेही सुनिश्चित होगी।