रतलाम: दीपावली पर्व को लेकर सभी और उत्साह का माहौल.... जानें दिवाली की तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजाविधि
रतलाम। दीपावली पर्व को लेकर सभी और उत्साह का माहौल है। दिवाली का पर्व हर साल कार्तिक माह की अमावस्या को धूमधाम से मनाया जाता है। इस साल पंचांग भेद के कारण दिवाली दो दिनों तक मनाई जाएगी—31 अक्टूबर और 1 नवंबर को। दीपावली पर मां लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा का खास महत्व होता है। जानिए दिवाली की सही तिथि, पूजा का शुभ मुहूर्त, और पूजाविधि।
पांच दिवसीय दीपोत्सव की शुरुआत 29 अक्टूबर को धनतेरस से हो चुकी है। इसके बाद 30 अक्टूबर को रूप चतुर्दशी का पर्व मनाया गया। कुछ स्थानों पर दिवाली 31 अक्टूबर को, तो कुछ जगहों पर 1 नवंबर को मनाई जाएगी। दिवाली के अगले दिन, 1 और 2 नवंबर को गोवर्धन पूजा और 3 नवंबर को भाई दूज के साथ यह उत्सव समाप्त होगा।
दिवाली पूजा का शुभ मुहूर्त
- अमावस्या तिथि प्रारंभ: 31 अक्टूबर, दोपहर 3:52 बजे
- अमावस्या तिथि समाप्त: 1 नवंबर, शाम 6:16 बजे
- लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त:
- 31 अक्टूबर, शाम 5:36 बजे से शाम 6:16 बजे तक
- शाम 6:27 बजे से रात 8:32 बजे तक
- निशिता काल पूजा:
- 31 अक्टूबर, रात 11:39 बजे से 12:31 बजे तक
दिवाली पूजाविधि
1. साफ-सफाई: दिवाली की पूजा से पहले घर की सफाई करें, विशेषकर ईशान कोण का ध्यान रखें, जिसे देवी-देवताओं का स्थान माना गया है।
2. पूजा की तैयारी: लकड़ी की चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति स्थापित करें। साथ ही कुबेर देवता की तस्वीर भी लगाएं।
3. कलश की स्थापना: चौकी पर जल से भरे कलश में कौडय़िां, सिक्के, सुपारी, और गंगाजल डालें। कलश पर स्वास्तिक का निशान बनाकर मोली लपेटें और आम के पत्ते लगाएं।
4. लक्ष्मी पूजन: मां लक्ष्मी के सामने लाल कपड़े की थैली में 5 कौड़ी, 5 गोमती चक्र, हल्दी की गांठ रखें। पूजन के बाद इसे तिजोरी में रखें।
5. दीप जलाना: गणेशजी, लक्ष्मी जी, और कुबेर देवता के सामने घी का 5 या 11 दीपक जलाएं। घर के कोनों में सरसों के तेल के दीपक लगाएं।
6. मंत्र जाप और पाठ: गणेश अथर्वशीर्ष और श्री सूक्तम का पाठ करें और सुख-समृद्धि की कामना करते हुए पूजा समाप्त करें।
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारी परंपरागत मान्यताओं और सामान्य जानकारी पर आधारित है। इसे अपनाने से पहले किसी विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें।