रतलाम ग्रामीण: मतदाता ही नही टिकट भी करेगा हार-जीत का फ़ैसला -कुछ नेताओं के निजी स्वार्थ ने कांग्रेस में नही उभरने दिया पं.दवे जैसा नेता, भाजपा भी बारी-बारी से बदलाव कर प्रयोग ही कर रही

रतलाम ग्रामीण: मतदाता ही नही टिकट भी करेगा हार-जीत का फ़ैसला -कुछ नेताओं के निजी स्वार्थ ने कांग्रेस में नही उभरने दिया पं.दवे जैसा नेता, भाजपा भी बारी-बारी से बदलाव कर प्रयोग ही कर रही

रतलाम। जिले की रतलाम ग्रामीण विधानसभा सीट ऐसी सीट है जहां पिछले बीस सालों में भाजपा या कांग्रेस की कोई स्थाई लीडरशीप नही उभर पाई। खासकर विधानसभा चुनाव को लेकर या विधायक उम्मीदवार अथवा दावेदार को लेकर। कांग्रेस में कुछ नेताओं के निजी स्वार्थ ने अच्छे नेताओं को आगे नही आने दिया तो भाजपा में भी बार-बार बदलाव और प्रयोग ने किसी एक नेता को बड़ा नही बनने दिया। यही वजह है कि हर बार जब विधानसभा चुनाव आता है तो रतलाम ग्रामीण विधानसभा में यह चर्चा और संकट दोनो दलों में जरुर रहता है कि टिकट किसको मिलेगा, किसको दिया जाए ताकि जीत सुनिश्चित हो सके।
एक समय था जब रतलाम ग्रामीण सीट पर कांग्रेस का दबदबा था और पंडित मोतीलाल दवे ऐसे नेता बनकर उभरे थे जो ग्रामीण विधानसभा सीट पर ही नही बल्कि रतलाम शहर और जिले की राजनीति से लेकर प्रदेश की राजनीति में भी अपना महत्वपूर्ण प्रभाव रखते थे। २००३ में जब वे चुनाव हारें और धुलजी चौधरी विधायक बने तो उसके बाद २००८ में यह सीट आदिवासी सीट के तौर पर परिसीमन के तहत रिजर्व हो गई और तब से यहां ना भाजपा का कोई लीडर उभर कर आगे आ पाया और ना ही कांग्रेस का।
जहा तक कांग्रेस की बात करें तो सूत्र बताते है कि रतलाम ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में सही उम्मीदवार ना उतारने की वजह से कांग्रेस को हर बार हार का सामना करना पड रहा है। २००८ में लक्ष्मीदेवी खराड़ी यहां विधायक बनी तो २०१३ में उनका विरोध था। बावजूद इसके कांग्रेस ने उनको टिकट दे दिया या कहे कुछ नेताओं ने ही उनको टिकट दिलवाकर हरवा दिया। पिछले चुनाव में भी ऐसा ही हुआ। कांग्रेस ने थावर भूरिया को टिकट दिया तो वे भी  मजबूती मुकाबला नही कर पाए और  भाजपा के आगे हार गए। बताया जाता है कि तब भी कांग्रेस सही व्यक्ति को टिकट देने में चूकी।
अब जब २०२३ के टिकट को लेकर मंथन चल रहा है तो इस दौरान भी कुछ नेता यह चाहते है कि टिकट उनके अनुसार हो। कुछ काग्रेसी कार्यकर्ताओं का कहना है कि यहा पार्टी मेहनत करने वालों को सही नजर से मुल्यांकन करके यदि एक बार मौका दे दे तो यह कांग्रेस की ही सीट है और फिर से यहा पंडित दवे की तरह कोई नेता उभरेगा और यह सीट स्थाई तौर पर कांगे्रस की सीट हो जाएगी। कुछ कांग्रेसी कार्यकर्ताओं का यह भी आरोप है कि कुछ नेता नही चाहते कि यहा कोई आगे बढऩे वाला उम्मीदवार मैदान में आ जाए और भविष्य में उन नेताओ की राजनीतिक दुकान बंद हो जाए जो रतलाम ग्रामीण के विधायक अथवा विधायक उम्मीदवार को अपनी जेब में रखना चाहते है।
यही आलम भाजपा में भी है। भाजपा भी यहा बार-बार बदलाव करके प्रयोग ही कर रही है और कहा तो यह जा रहा है कि कांग्रेस के सही टिकट वितरण नही होने का फायदा ही उठा रही है। २००८ में हार के बाद २०१३ और २०१८ में भाजपा ने यहा अलग-अलग उम्मीदवारो के जरिए जीत हासिल की है और इस बार भी फिर टिकट बदलने की चर्चा है। ऐसे में भाजपा में भी स्थाई तौर पर कोई नेता रतलाम ग्रामीण क्षेत्र में नही उभर पा रहा है। अब जबकि आजकल में टिकट का फैसला होना है तो दोनों ही दलों में नेता पूरी जोर आजमाइश लगा रहे है और अपनी-अपनी पसंद के दावेदारों को उम्मीदवार बनाने की कवायद में है लेकिन दोनों ही दलों के कई कार्यकर्ताओं का कहना है कि पहली लडाई तो वे तभी जीत जाएंगे जब टिकट का फैसला होगा। यदि सही टिकट दोनों ही दलों ने दिए तो मुकाबला कड़ा होगा वरना उम्मीदवारी घोषित होते ही मुकाबला एक तरफा होने के आसार भी बने रहेंगे।

बॉक्स
-जानिए कैसा उम्मीदवार चाहते है कार्यकर्ता
रतलाम ग्रामीण विधानसभा सीट पर जहा आम लोगों को बुनियादी सुविधाओं से लेकर विभिन्न व्यवस्थाओं में विधायक की जरुरत पड़ती है वहीं छोटे-छोटे काम के लिए भी कार्यकर्ताओं के लिए दौड़ा चला आए या कार्यकर्ताओं की विभिन्न विभागों में काम करवाते समय परेशानी ना हो। ऐसे विधायक की मंशा रहती है, लेकिन अब तक ऐसा हो नही रहा है। नामली में भाजपा के एक कार्यकर्ता ने चाय पर चर्चा के दौरान अग्निबाण से चुनावी मुददें पर बात करते हुए कहा कि पिछली बार जो विधायक थे वे खुलेआम कहते थे कि पुलिस थाने में टीआई हमारी भी नही सुनते तो अभी जो विधायक है उनका काम भी उनके कुछ लोग ही कर लेते है आम कार्यकर्ता की सुनवाई ही नही होती। कुछ ऐसी ही बात धामनोद एवं बांगरोद में भी पार्टी के एक दो कार्यकर्ताओं से चर्चा के दौरान सुनने को मिली। कांग्रेस में भी यही बात सामने आई कि यदि मेहनत करने वाले ओर जनता के बीच खड़े रहने वाले व्यक्ति को टिकट दे दिया जाए तो कांग्रेस के लिए यह सीट आसान है।

बॉक्स
-टिकट के लिए दोनों दलो में यह है दावेदार
ग्रामीण सीट पर भाजपा की ओर से दिलीप मकवाना, मथुरालाल डामर और जीएस डामोर दौड़ में है तो कांग्रेस की ओर से कोमल धुर्वे, अभय ओहरी, थावर भूरिया, लक्ष्मण डिंडोर और रानी राजीव देवदा के नाम दावेदारो के तौर पर चर्चाओं में है।