हर्षोउल्लास से मनाई महाराणा प्रताप की 484 वीं जन्म जयंति

हर्षोउल्लास से मनाई महाराणा प्रताप की 484 वीं जन्म जयंति

जावरा। हिंदुआ सूर्य वीर शिरोमणी महाराणा प्रताप आज विश्व भर में पुजनीय हैं। भारत के इतिहास में महाराणा प्रताप का नाम अमर हैं, बगैर महाराणा के भारत का इतिहास पढऩे योग्य नहीं हैं। राजपूत समाज को महाराणा प्रताप के आदर्शो का पालन करना चाहिए, लेकिन आज हमारे पास केवल महाराणा प्रताप का चित्र हैं, उनका चरित्र नहीं हैं, हमें चित्र की नहीं महाराणा प्रताप के चरित्र की आवश्यकता हैं। महाराणा के चरित्र को हमें अपने अंदर ढालना होगा तभी हम एक आदर्श समाज की स्थापना कर पाएंगे। आज का राजपूत समाज तख्त पर तो इक्_ा हो जाता हैं, लेकिन वक्त पर इक्_ा नहीं होता हैं, यही हमारी कमजोरी हैं और इसी कमजोरी का फायदा उठाकर लोग हमारा उपयोग कर लेते हैं।
यह बात गायत्री शक्ति पीठ, कोटा के प्रमुख संचालक युधिष्ठिरसिंह हाड़ा ने  अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा द्वारा जावरा में महाराणा प्रताप मांगलिक भवन पर महाराणा प्रताप की 484 वे जन्मोत्सव के दौरान मुख्य वक्ता के रुप में सम्बोधित करते हुए कहीं। हाड़ा ने कहा कि राजपूतों ने हजारों युद्ध लड़े और जीते लेकिन इतिहासकारों ने केवल  राजपुतों की हार को ही इतिहास में लिखा हैं। आज भी बाडमेर-जेसलमेर की सीमा पर 50 डिग्री तापमान में, लेह लद्दाख की सीमा पर -50 डिग्री पर राजपूत ही सीमा पर खड़ा हैं, राजपूतों के कारण ही आज भारत देश हैं। सभा को स्वामी नरेन्द्रगिरजी महाराज ने भी सम्बोधित करते हुए राजपूतों को संगठित होकर रहने की सलाह दी। सभा को  महासभा संरक्षक व प्रदेश के पूर्व गृहमंत्री भारतसिंह, अध्यक्ष सज्जन क्षत्रिय समाज राजपूत बोर्डिंग ओमसिंह पंचेड़, नारायणसिंह चिकलाना, श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना प्रदेश प्रवक्ता जितेन्द्रसिंह बरखेड़ी ने भी सम्बोधित किया।  संचालन महासभा कार्यकारी अध्यक्ष विक्रमसिंह सोलंकी ने किया। आभार नेपालसिंह डोडिया (खजुरिया) ने किया।


प्रतिमा पर किया माल्यापर्ण -
महासभा प्रवक्ता शैलेन्द्रसिंह चौहान ने बताया कि सभा का शुभारंभ महाराणा प्रताप के चित्र पर माल्यापण और दीप प्रज्जवल्लन के साथ हुआ। इसस पूर्व अतिथियों व पदाधिकारियों ने महाराणा प्रताप की प्रतिमा पर माल्यापर्ण किया। स्वागत भाषण महासभा अध्यक्ष डॉ हमीरसिंह राठौर ने दिया। अतिथियों का स्वागत  महासभा सचिव जितेन्द्रसिंह राठौर, मुनिराजसिंह चन्द्रावत, हरिसिंह चौहान, नेपालसिंह खजुरिया, बालुसिंह बंडवा, महेन्द्रसिंह बामनखेड़ी, पर्वतसिंह सोनगरा, दिपेन्द्रसिंह धतुरिया, हनुमंतसिंह चन्द्रावत, दिलीपसिंह कछावा, कमलसिंह सोनगरा, आनंदपालसिंह चौहान, हरिसिंह चौहान, खुमानसिंह कछावा,नंदेश्वरसिंह सेंगर, आनंदपालसिंह चौहान, पप्पुसिंह राठौर, महेन्द्रसिंह राठौर केरवासा, पुष्पेन्द्रसिंह राठौर केरवासा, छत्रपालसिंह चौहान, धर्मेन्द्रसिंह सिसौदिया, दशरथसिंह आक्याबैनी, गोविन्दसिंह सिसौदिया, धर्मेन्द्रसिंह चन्द्रावत, सोमेन्द्रसिंह सिसौदिया, किर्तीराजसिंह गिरनार, बलवंतसिंह देवड़ा,  बलवंतसिंह कलालिया, जोरावरसिंह राठौर, पूर्व सरपंच बोरदा, धर्मेन्द्रसिंह बोरदा, राजेन्द्रसिंह बोरदा, अन्नपूर्णा पंवार, जनपद सदस्य प्रीया सिसौदिया आदि सहित समाजजनों ने किया। सभा के दौरान 18 वर्ष तक के बालक बालिकाओं के लिए साफा बांध प्रतियोगिता आयोजित की गई। जिसमें सभी को पुरुस्कृत किया गया।